शिवजी की आरती | Somwar Vrat Ki Aarti

Somwar Ki Aarti

ॐ जय शिव ओंकारा,स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,अर्द्धांगी धारा॥   ॐ जय शिव ओंकारा॥ एकानन चतुराननपञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासनवृषवाहन साजे॥   ॐ जय शिव ओंकारा॥ दो भुज चार चतुर्भुजदसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखतेत्रिभुवन जन मोहे॥   ॐ जय शिव ओंकारा॥ अक्षमाला वनमालामुण्डमाला धारी। त्रिपुरारी कंसारीकर माला धारी॥   ॐ जय शिव ओंकारा॥ […]

आरती श्री हनुमानजी | Mangalwar Ki Aarti

Mangalwar Ki Aarti

आरती कीजै हनुमान लला की।दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥ जाके बल से गिरिवर कांपे।रोग दोष जाके निकट न झांके॥   अंजनि पुत्र महा बलदाई।सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥ दे बीरा रघुनाथ पठाए।लंका जारि सिया सुधि लाए॥   लंका सो कोट समुद्र-सी खाई।जात पवनसुत बार न लाई॥ लंका जारि असुर संहारे।सियारामजी के काज सवारे॥   लक्ष्मण […]

श्री कृष्ण की आरती | Budhwar Vrat Ki Aarti

Budhwar Vrat Ki Aarti

आरती युगलकिशोर की कीजै।तन मन धन न्यौछावर कीजै॥ गौरश्याम मुख निरखन लीजै,हरि का स्वरूप नयन भरि पीजै।   रवि शशि कोटि बदन की शोभा,ताहि निरखि मेरो मन लोभा। ओढ़े नील पीत पट सारी,कुन्जबिहारी गिरिवरधारी।   फूलन की सेज फूलन की माला,रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला। कंचन थाल कपूर की बाती,हरि आये निर्मल भई छाती।   श्री […]

बृहस्पतिवार की आरती | Guruwar Ki Aarti

Guruwar Ki Aarti

ऊँ जय बृहस्पति देवा,जय बृहस्पति देवा। छिन छिन भोग लगाऊँ,कदली फल मेवा॥   ऊँ जय बृहस्पति देवा॥ तुम पूर्ण परमात्मा,तुम अन्तर्यामी। जगतपिता जगदीश्वर,तुम सबके स्वामी॥   ऊँ जय बृहस्पति देवा॥ चरणामृत निज निर्मल,सब पातक हर्ता। सकल मनोरथ दायक,कृपा करो भर्ता॥   ऊँ जय बृहस्पति देवा॥ तन, मन, धन अर्पण कर,जो जन शरण पड़े। प्रभु प्रकट […]

आरती श्री सन्तोषी माँ | Shukrawar Ki Aarti

Shukrawar Ki Aarti

जय सन्तोषी माता,मैया जय सन्तोषी माता। अपने सेवक जन को,सुख सम्पत्ति दाता॥   जय सन्तोषी माता॥ सुन्दर चीर सुनहरीमाँ धारण कीन्हों। हीरा पन्ना दमके,तन श्रृंगार कीन्हों॥   जय सन्तोषी माता॥ गेरू लाल छटा छवि,बदन कमल सोहे। मन्द हंसत करुणामयी,त्रिभुवन मन मोहे॥   जय सन्तोषी माता॥ स्वर्ण सिंहासन बैठी,चंवर ढुरें प्यारे। धूप दीप मधुमेवा,भोग धरें न्यारे॥ […]

शनि देव की आरती | Shaniwar Ki Aarti

Shaniwar Ki Aarti

जय शनि देवा, जय शनि देवा,जय जय जय शनि देवा। अखिल सृष्टि में कोटि-कोटिजन करें तुम्हारी सेवा।   जय शनि देवा…॥ जा पर कुपित होउ तुम स्वामी,घोर कष्ट वह पावे। धन वैभव और मान-कीर्ति,सब पलभर में मिट जावे। राजा नल को लगी शनि दशा,राजपाट हर लेवा।   जय शनि देवा…॥ जा पर प्रसन्न होउ तुम […]

0

No products in the cart.